सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर एक्शन पर बड़ा प्रहार, दोषी का घर गिरना भी गलत, SC ने जारी की गाइड लाइन।

सुप्रीम कोर्ट का बुलडोजर एक्शन पर बड़ा प्रहार, दोषी का घर गिरना भी गलत, 


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरोपी है, तो उसके माता-पिता को सजा क्यों मिले? घर एक दिन में नहीं बनते, बल्कि सालों की मेहनत से बनते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका का काम नहीं कर सकती। यह बातें कोर्ट ने राज्य सरकार के सामने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कही। इन याचिकाओं में आरोपियों की संपत्तियों को गिराने के खिलाफ निर्देश देने की मांग की गई थी। तो चलिए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर क्या कहा।

 
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प्रशासन जज नहीं बन सकता

कोर्ट ने कहा बुलडोजर एक्शन देखने में भयावह होता है। जो यह ताकत की निरंकुशता को दिखता है ऐसी कोई भी कार्यवाही का सवैधानिक लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की हमारे सवैधानिक मूल्यों में ऐसी किसी भी प्रक्रिया का कोई जगह नहीं है और इसकी इजाजत सविंधान नहीं देता है। ऐसी कोई भी डिमोलेशन जैसी कार्रवाही कानून के तरिके से निपटाया जा सकता है। 


सुप्रीम कोर्ट की बुलडोजर पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ

  1. अगर किसी इमारत को गिराने का आदेश दिया जाता है, तो उस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
  2. बिना किसी कारण बताए नोटिस के आधार पर कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जा सकती। नोटिस को पंजीकृत डाक से बिल्डिंग के मालिक को भेजना होगा और उस इमारत के बाहर भी चिपकाना होगा, जिसे गिराया जाना है। नोटिस की तारीख से कम से कम 15 दिन बाद ही कोई कार्रवाई की जा सकती है।
  3. नोटिस में उल्लंघन की जानकारी होनी चाहिए, जिसके कारण अधिकारियों ने ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव रखा है, साथ ही यह भी बताना होगा कि प्रभावित पक्ष के लिए व्यक्तिगत सुनवाई कब तय की गई है और किसके सामने।
  4. नोटिस के तामील होने के बाद प्रस्तावित कार्रवाई की सूचना कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को भेजी जानी चाहिए।
  5. कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए नोडल अधिकारी होंगे।
  6. पारित आदेश डिजिटल पोर्टल पर अपलोड करना होगा। 
  7. तोड़फोड़ की कार्यवाही की वीडियो अपलोड करनी होगी वीडियो रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना होगा। 
  8. प्राधिकारी के अंतिम आदेश में नोटिस प्राप्तकर्ता के तर्क, प्राधिकारी के निष्कर्ष और कारण होंगे की क्या अनधिकृत निर्माण समझौता योग्य है और क्या पुरे निर्माण को ध्वस्त किया जाना है। आदेश में यह स्पस्ट करना होगा की तोड़फोड़ की कार्यवाही ही एकमात्र विकल्प क्यों है। 
  9. आदेश के 15 दिन के भीतर मालिक को अनधिकृत सरंचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर देना होगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई हो, तो विध्वंस की कार्रवाई की जायगी। 
  10. ध्वस्तीकरण रिपोर्ट भी संबधित नगर निगम आयुक्त को भेजनी होगी 


अदालत ने यह स्पस्ट किया है की ये निर्देश किसी सार्वजनिक स्थान सड़क, गली, फुटपाथ, रेलवे लाइन से सटे या किसी नदी या जल निकाय पर अनधिकृत सरंचना होने पर लागू नहीं होंगे।  


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